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ग्राम सुराज अभियान के पहले चरण में प्रदेश के सभी जिलों में सुराज दल के बहिष्कार और बंधक बनाए जाने की खबरों ने छत्तीसगढ़ सरकार को चिंता में डाल दी है। मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह सहित शासन के नुमाइंदों को ग्रामीणों से इस तरह के आक्रोश की उम्मीद बिल्कुल भी नहीं थी, लेकिन सरकारी तंत्र की लापरवाही और ग्रामीणों की जायज मांगे पूरी नहीं हो पाना इसके पीछे सबसे बड़ी वजह है। दिलचस्प बात यह है कि स्वयं मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के गांव ठाठापुर की पिछले ग्राम सुराज की दस में से एक भी मांग पूरी नहीं हो सकी है।
ग्रामीण क्षेत्र की समस्याओं के निदान के लिए राज्य सरकार द्वारा चलाए जा रहे ग्राम सुराज अभियान का पहला चरण 23 अप्रैल को पूरा हो गया है। इस दौरान सभी जिलों में न सिर्फ सुराज का बहिष्कार हुआ, बल्कि कई गॉवों में आक्रोशित लोगों ने सुराज दल को घंटों तक बंधक भी बना लिया। अभियान के पहले चरण में लगभग सभी जिलों में लोगों का गुस्सा एक जैसा ही था। दरअसल ग्रामीणों में इस बात को लेकर गुस्सा है कि पिछले वर्ष सुराज दल को उन्होंने जो समस्याएं बताई थी, उनमें से अनेकों का निराकरण साल भर बाद भी नहीं हो सका है। ग्रामीणों का कहना है कि यदि उन्होंने 10 समस्याएं बताई हैं, तो कम से कम एक दो समस्याओं का निराकरण होना ही था।
इस पर सरकार का तर्क है कि ग्रामीणों की सभी मांगों को पूरा कर पाना संभव नहीं है। लोगों की छोटी-मोटी समस्याओं में राहत देने का प्रयास किया गया है। मगर यह भी सच है कि पिछले अभियान में सरकार को मिली एक लाख दो हजार मांग व शिकायतें में से 65 हजार से ज्यादा आवेदन अभी भी लंबित है। ग्राम सुराज के वेबसाइट पर उपलब्ध आंकड़े बताते है कि पिछले साल यानी 2010 में सरकार को 7 लाख 40 हजार सामान्य आवेदन थे, जिनमें से महज 3642 आवेदन ही निराकरण के लिए शेष हैं। वहीं गांवों की समस्याओं और मांगों से संबंधित 1 लाख 2 हजार आवेदन पूरे राज्य से मिले थे। इनमें से 55 हजार मांग और 47 हजार से ज्यादा शिकायती पत्र थे। 55 हजार मांगों में 20654 पूरी कर ली गई है, लेकिन 34000 से ज्यादा मांगे अभी भी अधूरी है। इसी तरह शिकायती पत्रों में 16 हजार का निराकरण हुआ है और 31 हजार का निराकरण होना बाकी है। वेबसाइट के आंकड़ों से यह भी स्पष्ट हो रहा है कि कई गांवों की एक भी मांग पूरी नहीं हुई हैं। इनमें स्वयं मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह का गांव ठाठापुर भी शामिल है, जहां की दस में से एक भी मांग पूरी नहीं हुई है।
पिछले वर्ष अभियान के अंतर्गत मुख्यमंत्री द्वारा की गई 280 में से 15 जिला प्रशासन, 3 वन विभाग, 3 स्वास्थ्य विभाग, 3 लोक निर्माण विभाग, 6 स्कूल शिक्षा विभाग, 1 खाद्य विभाग, 1 पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग, 5 सिंचाई विभाग तथा 7 लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग से संबंधित घोषणाएं अब तक अधूरी है। इसके बावजूद सरकार के नुमाइंदे यह कहने से भी नहीं चूकते कि पिछले वर्षों में गांवों में विकास के ढ़ेरों काम हुए है, फिर भी लोगों की काफी समस्याएं है। राज्य बनने के बाद भी लोगों की उम्मीदें बढ़ गई है, लेकिन सरकार का बजट सीमित है। सुराज दल को मांगों के जितने आवेदन मिले हैं, उसे पूरा करने के लिए कई हजार करोड़ के बजट की जरूरत होगी, जो किसी भी स्थिति में संभव नहीं है। खैर अधिकारियों के तर्क अपने स्तर पर भले ही सही हो सकते है,लेकिन ग्राम सुराज अभियान को लेकर इस बार लोगों में जितना गुस्सा देखने को मिल रहा है, उतना आक्रोश सरकार के प्रति कभी नहीं फूटा था।
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