Menu
blogid : 5148 postid : 31

भारत में हर साल 67 हजार माताओं की मौत

जनवाणी
जनवाणी
  • 23 Posts
  • 19 Comments

माँ शब्द का अर्थ संतान के लिए महज पुकारने तक ही नहीं होता, बल्कि मां शब्द में ही सारी दुनिया बसती है। संतान की खुशी और सुख माँ के लिए उसका संसार होता है, लेकिन ‘मां’ की बड़ी-बड़ी परिभाषाएं गढ़े जाने वाले भारत में ही माताओं की स्थिति बेहद खराब है। यूनिसेफ की रिपोर्ट के अनुसार, गर्भावस्था तथा प्रसव की जटिलताओं के चलते हर साल 67 हजार भारतीय महिलाएं दम तोड़ रही है।

भारतीय संस्कृति में मातृ शक्ति का प्राचीन काल से ही महत्त्व रहा है। मातृ दिवस का इतिहास सदियों पुराना है। मदर्स डे, वास्तव में युद्धों की विभीषिका से जुड़ा है। मगर पूरी दुनिया में आज ऐसे समय में मदर्स डे मनाया जा रहा है, जब मां बनने के लिए सर्वोत्तम स्थान की सूची में शामिल 77 देशों में भारत का स्थान 73 वां है। बाल अधिकार संगठन ’सेव द चिल्ड्रन’ की एक रिपोर्ट के अनुसार, ’मां बनने के लिए सर्वोत्तम स्थान’’ की सूची में शामिल 77 देशों में भारत का स्थान 73 वां है। ’स्टेट ऑफ द वर्ल्ड्स मदर्स 2010’ नामक रिपोर्ट में सर्वाधिक चौंकाने वाली बात यह है कि भारत का स्थान हिंसाग्रस्त अफ्रीकी देश केन्या और कांगो से भी नीचे है। इस मामले में क्यूबा सर्वोपरि है। इसके बाद अर्जेन्टाइना, इजराइल, बारबाडोस, साइप्रस, उरूग्वे, दक्षिण कोरिया, कजाकिस्तान, मंगोलिया और बहामास हैं। रिपोर्ट पर गौर करे तो भारत के पड़ोसी देशों में चीन 18वें, श्रीलंका 40वें स्थान पर है, जबकि पाकिस्तान 75वें क्रम पर है। अल्प विकसित देशों की सूची में 40वां स्थान पाने वाला बांग्लादेश ’स्टेट ऑफ द वर्ल्डस मदर्स 2010’ के सर्वे सूची में 14 वें स्थान पर है। बाल अधिकार संगठन ने रिपोर्ट में 166 देशों का विश्लेषण किया है, इनमें स्वीडन शिखर तथा अफगानिस्तान सबसे नीचे है।

mother and child

विश्व में स्वास्थ्य प्रणाली की हालत कमजोर होने की प्रमुख वजह प्रशिक्षित स्वास्थ्य कर्मियों के अभाव को ही माना जा सकता है। अकेले भारत में ही 74 हजार मान्यता प्राप्त सामाजिक स्वास्थ्य कार्यकर्ता व 21 हजार 66 एएनएम की कमी है। हालांकि राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन लागू होने के बाद भारत में मातृ मृत्यु दर में कुछ कमीं आ रही है, फिर भी हर साल हजारों महिलाएं मूलभूत स्वास्थ्य सुविधाएं नहीं मिल पाने की वजह से मौत के मुंह में जा रही हैं। अगर ऐसी महिलाओं को स्वास्थ्य सुविधाएं मिल भी रही है तो उसका स्तर बहुत कमजोर है। जहां तक शिशु मृत्यु दर का सवाल है तो भारत में वर्ष 2008 में प्रति 1 हजार बच्चों पर पांच साल की उम्र के बच्चों की मृत्यु दर 68 थी, जबकि वर्तमान में मातृ मृत्यु दर प्रति एक लाख जीवित जन्म पर 254 है। माताओं को असल सम्मान देने के साथ ही उनकी मृत्यु दर को नियंत्रित करने के लिए हम सभी को गंभीरता से चिंतन करना जरूरी है।

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh